Madhu varma

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लेखनी कविता - बारिश - बालस्वरूप राही

बारिश / बालस्वरूप राही


बादल गरजे
बिजली कड़की
बूंदें बरसीं
छम-छम-छ्म।

बड़े अकड़ में
निकले घर से
नटखट मोनू
फिसले धम।

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